१६.२.१३

नि:शब्द प्रेम माझे...

पैशात फार थोड्या भागेल एक दिवशी,
प्रेमात सर्व आहे, समजेल एक दिवशी...

दु:खास अंत नाही, समजून वाग ना तू,
सुख भोगण्याची तर्‍हा, बदलेल एक दिवशी...

सांभाळ तू घराला, अंधार मी पहातो,
समई उजेड देती, गवसेल एक दिवशी...

नि:शब्द प्रेम माझे, सांगू कसे तुला मी?
विसरावयास दैन्य, विनवेल एक दिवशी...

आहे जरी कफल्लक, दिलदारही मी आहे,
जागा तुझ्या मनी मी मिळवेल एक दिवशी...

आभाळ फाटलेले, दे हात तू जरासा,
लढतोय एकट्याने, उसवेल एक दिवशी...
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हर्षल (१६/२/१३ - रात्रौ. १०.३५)
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